मेरे धरा के चौदहवीं के चाँद, सुन दूरी न रहे कोई मेरे चाँद। मेरे धरा के चौदहवीं के चाँद, सुन दूरी न रहे कोई मेरे चाँद।
एक खूबसूरत शाम, चाँद के बहाने एक खूबसूरत शाम, चाँद के बहाने
अँधेरे तूफां को समेटे वह सारी हकीकत मेरी झुकी पलकों पर ठहरी हुई हैं ,तुम , चाँद और मैं डूबे हुए है... अँधेरे तूफां को समेटे वह सारी हकीकत मेरी झुकी पलकों पर ठहरी हुई हैं ,तुम , चाँ...
(चाँद उस दिन से हँसना भूल गुमसुम हो गया) (चाँद उस दिन से हँसना भूल गुमसुम हो गया)
सुन रहे हैं झील से चाँद की बातें! सुन रहे हैं झील से चाँद की बातें!
मेरी प्रथम श्रृंगारस की कविता। मेरी प्रथम श्रृंगारस की कविता।